संभव है प्रकृति विजय के क्रम में इस साधन प्रणाली का सहारा लिया जाता हो ।
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मानव की प्रकृति विजय की अदम्य लालसा उसे अनथक प्रयत्न के लिये उत्साहित करती रहती है ।
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इस प्रकार वह मानव जिसने मध्य युग में विश्व भर में अपने भाइयों के खून से हाथ रंगे थे, आज विज्ञान के सहयोग से प्रकृति विजय का भागीरथ प्रयत्न कर रहा है।
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इस प्रकार वह मानव जिसने मध्य युग में विश्व भर में अपने भाइयों के खून से हाथ रंगे थे, आज विज्ञान के सहयोग से प्रकृति विजय का भागीरथ प्रयत्न कर रहा है।
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आपकी चिंता सही है, लेकिन क्या आप नहीं जानते कि इसे रोका नहीं जा सकेगा? अपनी श्रुद्र वैज्ञानिक उपल्ब्धियों से ज्यूँ-ज्यूँ मनुष्य को प्रकृति विजय का या उसका नियंता बनने का भ्रम बढ़ता जायेगा त्यूँ-त्यूँ इस दुनिया के नष्ट होने की गति तीव्रतर होती जायेगी दुनिया के खत्म होने के बाद भी कितनी ही दुनियाँयें बची रहेंगी.